कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !
कल के पन्ने खाली रह गए, जो आज लिखा जा रहा है,
पता नहीं! कोरा कागज न छूट जाए।
बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ,
अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो,
जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीददार नहीं हूँ|
काफी दिनों से,
कोई नया जख्म नहीं मिला;
पता तो करो..
“अपने” हैं कहां ?
दुश्मनों के खेमें में चल रही थी
मेरे क़त्ल की साज़िश
मैं पहुंचा तो वो बोले
यार तेरी उम्र बहुत लंबी हैं|
अलविदा कहने में उसने जिंदगी का एक पल खोया….
हमने एक पल में पूरी जिंदगी खो दी|
न ख़ुशी अच्छी है ऐ दिल, न मलाल अच्छा है,
यार जिस हाल में रखे, वही हाल अच्छा है।
बस मुस्करा दो, तबियत ख़ुश हो जाती है मेरी;
सारे शहर में ढूँढ लिया, हकीम तुम सा नहीं|