उल्टी पड़ी है,
कश्तीयाँ रेत पर मेरी…!!
कोई ले गया है,
दिल से समंदर निकाल कर…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उल्टी पड़ी है,
कश्तीयाँ रेत पर मेरी…!!
कोई ले गया है,
दिल से समंदर निकाल कर…!!
सवालो मे रहेने दो मै जवाब बहुत बुरा हुं…
लबो पे आ गया तो संभालना मुश्कील हो जायेगा|
उसे छुना जुर्म है,
तो मेरी फाँसी का इन्तेजाम करो..
मै आ रहा हु उसे सीने से लगा कर..
अल्फाज़ अक्सर अधूरे ही
रह जाते है मोहब्बत में ,
हर सख्स किसी न किसी
की चाहत दिल में दबाये रखता है|
दो लव्ज क्या लिखे तेरी याद मे..
लोग कहने लगे तु आशिक बहुत पुराना है|
जाने क्या था जाने क्या है
जो मुझसे छूट रहा है….
यादें कंकर फेंक रही है
दिल अंदर से टूट रहा है…..
इन्सान की चाहत है कि उड़ने को पर मिले,
और परिंदे सोचते हैं कि रहने को घर मिले|
जब जब सच बोलके देखा मुह पे इंसान के,
हर वक़्त एक नया ही रंग सामने आया ।
कोई कम्बखत उछाल न दे हवा में….
अपने गालों से लग जाने दे.
एक मुठ्ठी गुलाल ही तो हूँ
जरा मुस्कुरा के देखो, दुनिया हँसती नजर आएगी!