बदन के घाव

बदन के घाव दिखाकर जो अपना पेट भरता है,
सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है।

कहीं किसी रोज यूँ

कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…

तेरे गुरूर को

तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,

जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!