तोड़ो न तुम …

तोड़ो न तुम …आईने….चेहरे हजार दिखेंगे….

अभी तो …..हम सिर्फ एक है ….फिर बेशुमार दिखेंगे…..

घर की इस बार

घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”

मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है