वो धागा ही था

वो धागा ही था जिसने छिपकर पूरा जीवन मोतियों को दे दिया…
और ये मोती अपनी तारीफ पर इतराते रहे उम्र भर…।

बड़ी अजीब सी

बड़ी अजीब सी मोहब्बत थी उन्की …..!पहले पागल किया,फिर पागल कहा, फिर पागल समझ कर छोड़ दिया….!!

छू जाती है

छू जाती है वो मुझे कितनी ही दफ़ा ख्वाब बनकर….

ये दुनिया तो खामखां कहती है कि वो मेरे नसीब में नहीँ..!!