सच ये है पहले जैसी वो चाहत नहीं रही…
लहजा बता रहा है मोहब्बत नहीं रही..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सच ये है पहले जैसी वो चाहत नहीं रही…
लहजा बता रहा है मोहब्बत नहीं रही..
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है,
बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में
है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे..,.
ऊँगली रखो तो आगे पढने को जी करता है.,..!!!
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें,
जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो,
हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ,
पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं…
तुम खेल चुके हो तो…
मेरा दिल वापस कर दो न अब…
न तो धन छुपता है न मोहब्बत ,
जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
नादाँ तुम भी नही
नादाँ हम भी नही
मुहब्बत का असर
इधर भी है …उधर भी है