सच ये है पहले जैसी वो चाहत नहीं रही… लहजा बता रहा है मोहब्बत नहीं रही..
Tag: शर्म शायरी
मौत बेवज़ह बदनाम है
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब, जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
मोहब्बत है गज़ब
मोहब्बत है गज़ब उसकी शरारत भी निराली है, बड़ी शिद्दत से वो सब कुछ निभाती है अकेले में
है होंठ उसके
है होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे..,. ऊँगली रखो तो आगे पढने को जी करता है.,..!!!
अजीब से जज़्बात
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें, जागे हैं कुछ अजीब से जज़्बात क्या करें…
उसने पूछा की
उसने पूछा की हमारी चाहत में मर सकते हो, हमने कहा की हम मर गए तो तुम्हें चाहेगा कौन
तुम नाराज हो जाओ
तुम नाराज हो जाओ, रूठो या खफा हो जाओ, पर बात इतनी भी ना बिगाड़ो की जुदा हो जाओ
इजाज़त हो तो
इजाज़त हो तो कुछ अर्ज करूं… तुम खेल चुके हो तो… मेरा दिल वापस कर दो न अब…
न तो धन छुपता है
न तो धन छुपता है न मोहब्बत , जाहिर हो ही जाता है छुपाते – छुपाते
नादाँ तुम भी
नादाँ तुम भी नही नादाँ हम भी नही मुहब्बत का असर इधर भी है …उधर भी है