तमाम उमर जिंदगी से

तमाम उमर जिंदगी से दूर रहे
तेरी खुशी के लिए तुझसे दूर रहे
अब इससे बढ़कर वफ़ा – ए -सजा क्या होगी
की तेरे हो कर भी तुझसे दूर रहे ??

ना जाने कैसे

ना जाने कैसे इम्तेहान ले रही है जिदगी,
आजकल, मुक्दर, मोहब्बत और दोस्त
तीनो नाराज रहते है|

मिली है अगर

मिली है अगर जिंदगी तो मिसाल बन कर दिखाइये…
वर्ना इतिहास के पन्ने आजकल रिश्वत देकर भी छपते है|

जानता था की

जानता था की वो धोखा
देगी एक दिन पर चुप रहा..
.
क्यूंकि उसके धोखे में जी
सकता हूँ पर उसके बिना नहीं…