मुझे इंसान को

मुझे इंसान को पहचानने की ताकत दो तुम….
या फिर मुझमें इतनी अच्छाई भरदो की….
किसी की बुराई नजर ही ना आये..

वो फूल हूँ

वो फूल हूँ जो अपने चमन में न रहा,
वो लफ्ज़ हूँ जो शेरों सुख़न में न रहा,
कल पलकों पे बिठाया, नज़र से गिराया आज,
जैसे वो नोट हूँ जो चलन में न रहा।

जो मौत से

जो मौत से ना डरता था, बच्चों से डर गया…
एक रात जब खाली हाथ मजदूर घर गया…!

तुम हज़ार बार भी

तुम हज़ार बार भी रुठोगे तो मना लूंगा तुमको मगर,
शर्त ये है कि मेरे हिस्से की मुहब्बत में शामिल कोई दूसरा ना हो..