बेवजह दीवारों पर इल्ज़ाम है, बँटवारे का,
लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग-अलग रहते हैं…..
Tag: वक्त शायरी
जगह ही नहीं है
जगह ही नहीं है दिल में अब दुश्मनों के लिए,
कब्ज़ा दोस्तों का कुछ ज्यादा ही हो गया है !!
ऐसे माहौल मे…
ऐसे माहौल मे…दवा क्या है..?दुआ क्या है..??
जहा कातिल ही… खुद पूछें..हुआ क्या है..?हुआ क्या है
वो रखती है
वो रखती है खुद को सबसे छुपाकर ..
शायद वो भी खुद को अमानत समझती है मेरी।
इस तरह ज़िन्दगी में
इस तरह ज़िन्दगी में मुझे तेरा साथ चाहिये,
जैसे बच्चे को भीड़ में एक हाथ चाहिए.
उम्मीदों से बंधा
उम्मीदों से बंधा एक जिद्दी परिंदा है इंसान,
जो घायल भी उम्मीदों से है और जिन्दा भी उम्मीदों पर है…
अपने लफ़्ज़ों में
ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों आवाज़ में नहीं..
क्यूँकि फसल बारिश से उगती है बाढ़ से नहीं..
कहानी जब भी
कहानी जब भी लिखूंगा अपनी उजड़ी हुई ज़िन्दगी की
सबसे मजबूत किरदार में तेरा ही ज़िक्र होगा..!!
इकट्ठा कर लिए
इकट्ठा कर लिए हथियार जितने लड़ने वालों ने….!!
इकट्ठे करते इतने फूल तो दुनिया महक जाती…..!!
नाराज़गी बहुत है
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान…!!!
वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा…!!!