नाज है मुझे

नाज है मुझे मेरे प्यार पर ,
ना वो बेवफा ना मै बेवफा …..
बस मॉ –
बाप के फर्ज ने हमको जुदा किया …….!!

तसल्ली के लिये

भूखे बच्चों की तसल्ली के लिये
माँ ने फिर पानी पकाया देर तक
गुनगुनाता जा रहा था इक फ़क़ीर
धूप रहती है ना साया देर तक

दुख जमा कर सकते है।

“माँ” एक ऐसी ‘बैंक’ है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है।

और

“पापा” एक ऐसा ‘क्रेडिट कार्ड’ है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है॥

लोग तरस जाते हैँ

हमारा अंदाज कुछ ऐसा है कि…
जब हम बोलते हैँ तो बरस जाते हैँ..
और
जब हम चुप रहते हैँ
तो लोग तरस जाते हैँ..!!