दिल खामोश है

दिल खामोश है मगर होंठ हँसा करते हैं
बस्ती वीरान है मगर लोग बसा करते हैं
नशा मयकदों में अब कँहा है यारों..
लोग अब मय का नहीं.
मैं का नशा करते हैं…….

हमें तो कब से

हमें तो कब से पता था के तू बेवफा है

ऐ बेखबर

तुझे चाहा ही इस लिए की शायद तेरी फितरत बदल जाये…!!