ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,
ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना,
ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!
कलम खामोश पड़ी है मेरी,
या तो दर्द दे जाओ या फिर मोहब्बत..
हमने मोह्हबत के नशे में उसे ख़ुदा बना डाला , और होश तो जब आया जब उसने कहा , ख़ुदा किसी एक का नहीं होता।।
बात ये है,के तुम बहुत दूर होते जा रहे हो. . .
और हद ये है कि तुम ये मानतीं भी नही. .
उठाना खुद ही पड़ता है, थका टुटा बदन अपना……
कि जब तक सांस चलती है कोई कांधा नही देता….
रहेगा किस्मत से यही गिला जिन्दगी भर,
कि जिसको पल-पल चाहा उसी को पल-पल तरसे…
उनकी गहरी नींद का मंजर कितना हसीं होता होगा…..
तकिया कहीं,जुल्फें कहीं और वो खुद कहीं।।
धीरे से इतराना और तेज़ घूम जाने के बिच में,
एक लम्हा तुम्हारी आगोश में कँही खो गया है।
खुद से जीतने की जिद है…मुझे खुद को ही हराना है…
मै भीड़ नहीं हूँ दुनिया की…मेरे अन्दर एक ज़माना है…
एहसासों की नमी होना जरुरी है हर रिश्ते में…..
रेत सूखी हो तो हाथों से फिसल जाती है…..