दरवाज़े से घर

सुख कमाकर दरवाज़े से घर में
लाने की कोशिश करते रहे ,
पता ही ना चला कि कब ….
खिड़कियों से उम्र निकल गई .

लाजमी तो नही

लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..

तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”
लाजमी तो नही है…कि तुझे आँखों सेही देखूँ..

तेरी याद का आना भी तेरे
दीदार से कम नही…।”

मै तो बस

मै तो बस अपनी हकीकत लिखता हूँ….
और
लोग कहते है…
तुम शायरी अच्छी लिखते हो….

तुम शराफत को

तुम शराफत को बाजार मे न लाया करो ,

ये वो सिक्का है जो कभी बाजार मे चला ही नही ।
अक्सर दिमाग वालों ने दिलवालो का इस्तेमाल ही किया है ।