तुम्हें कितनी मोहब्बत है, मुझे मालूम नहीं मगर,
मुझे आज भी लोग, तेरी क़सम दे कर मनवा लेते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम्हें कितनी मोहब्बत है, मुझे मालूम नहीं मगर,
मुझे आज भी लोग, तेरी क़सम दे कर मनवा लेते है