कागज़ पर उतारे

कागज़ पर उतारे
कुछ लफ्ज़,
ना खामखा थे..
ना फ़िज़ूल थे..
ये वो जज़्बात थे..
लब जिन्हें कह ना पाएं
थे कभी…!!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *