दर्द अब इतना की संभलता नही है
तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है
अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे
तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
दर्द अब इतना की संभलता नही है
तेरा दिल मेरे दिल से मिलता नही है
अब और किस तरह पुकारूँ मैं तुम्हे
तेरा दिल तो मेरे दिल की सुनता भी नही है |