लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ;
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ;
सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे।
इश्क़ और तबियत का कोई भरोसा नहीं,
मिजाज़ से दोनों ही दगाबाज़ है, जनाब।
ताकत नहीं मुज में इतनी की छीन लू दुनिया से
तुजे ,
ऐ_सनम
पर मेरे दिल से कोई तुझे निकाल दे इतनी
हिम्मत नहीं किसी में ।
कोई मजबूत सी जंजीर भेजो …..
आज फिर तुम्हारी याद पागल हो गयी है
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ, अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो, जो लिखकर बयाँ करता हूँ।
युं तो गलत नही होते अंदाज चहेरों के; लेकिन लोग… वैसे भी नहीं होते जैसे नजर आते है…!!
किसी शायर ने खूब कहा है,
रहने दे आसमा, ज़मीन की तलाश कर,
सब कुछ यही है, कही और न तलाश कर.
हर आरज़ू पूरी हो, तो जीने का क्या मज़ा,
जीने के लिए बस एक खूबसूरत वजह की तलाश कर,
ना तुम दूर जाना ना हम दूर जायेंगे,
अपने अपने हिस्से कि दोस्ती निभाएंगे,
बहुत अच्छा लगेगा ज़िन्दगी का ये सफ़र,
आप वहा से याद करना, हम यहाँ से मुस्कुराएंगे,
क्या भरोसा है जिंदगी का,
इंसान बुलबुला है पानी का,
जी रहे है कपडे बदल बदल कर,
एक दिन एक कपडे में ले जायेंगे कंधे बदल बदल कर…
खुद को जो सूरज बताता फिर रहा था रात को
दिन में उस जुगनू का अब चेहरा धुआं होने को था
वो हमारे हो गए ये क्या कम बात है
खुद ग़रज़ दुनिया में वरना कौन कब किसका हुआ
फूल की खुशबू ही तय करती है उसकी कीमतें,
क्या कभी तुमने सुना है, खार का सौदा हुआ