एक बार चाहा था अक्ल ने तुमको भुलाना
तो सौ बार जुनूँ ने तेरी तसवीर दिखा दी
Category: शर्म शायरी
नजरें नीची झुक गई
मुझे देख कर आज उनकी नजरें नीची झुक गई…..
लगता है इस से पहले किसी से आँख मिला के आई है…….!
वो शाम जो अब तक उधार है
उसने पूछा कि कौन सा तोहफा है मनपसंद,
मैंने कहा वो शाम जो अब तक उधार है…
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन
तुझसे मोहब्बत थी मुझे बेइन्तहा लेकिन,
अक्सर ये महसूस हुआ तेरे जाने के बाद
महसूस जरुर होते हैँ
बदलता मौसम…..
बदलते रिश्ते….
और बदलते लोग……
दिखते भले ना हो ……
महसूस जरुर होते हैँ……
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने को,
कभी मेरी आँखों में ठहर के देखो ये बेइंतहा बरसती हैं…!!!
बरसों बाद इक ख़त आज आया है
बरसों बाद इक ख़त आज आया है,
तुम्हे याद आई है या गलत पते पे आया है…!!!
लम्बी लम्बी बातें
तुम्हें याद हैं वो तुमसे हुई लम्बी लम्बी बातें,
या हमारे साथ साथ उन्हें भी भूला दिया…!!!
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब
ये गंदगी तो महल वालो ने फैलाई है साहिब…
वरना गरीब तो सङको से थैलीयाँ तक उठा लेते है….!!!
रहने दे अंधेरे मे मुझे
रहने दे अंधेरे मे मुझे…. गालिब
उजाले मे अपनो के असली चेहरे नजर आ जाते हैँ….!