नजर की बात है

नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है,
तू हंसने को बेताब है, मुझे तेरी मुस्कुराहटों की ही प्यास हैं…

तेरे दर से मिला है

रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है

रात भर चलती

रात भर चलती रहती है अब
उंगलियाँ मोबाईल पर…!
किताब सीने पर रखकर सोये हुए तो
एक जमाना गुजर गया….!!!

अजीब खेल है

अख़बार का भी अजीब खेल है
सुबह अमीर की चाय का मजा बढाता है
और रात में गरीब के खाने की थाली बन जाता है…!