वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ
कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो पतथर भी मारे तो उठा के झोलियाँ भर लूँ
कभी मोहब्बत के तोहफ़ो को लौटाया नही करते ।
कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब.!!
शायरियोँ मेँ अब तुम समाती नहीँ.!!
आ ज़ा फिर से मेरे ख्यालों में….कुछ बात करते हैं….
कल जहाँ खत्म हुई थी…वहीं से शुरुवात करते हैं…!!
अपनी खुशियों की चाबी
किसी को न देना…
लोग अक्सर
दूसरों का सामान खो देते हैं…
माला की तारीफ़ तो करते हैं सब,
क्योंकि मोती सबको दिखाई देते हैं..
काबिले तारीफ़ धागा है जनाब जिसने सब को जोड़ रखा है.
शौक से तोड़ो दिल मेरा मुझे क्या परवाह,
तुम ही तो रहते हो इसमे, अपना ही घर ऊजाड़ोगे”.
मुद्दत के बाद उसने जो आवाज़ दी मुझे,
कदमों की क्या बिसात थी, सांसें ठहर गयीं…!!!
हमारा हक तो नही है फिर भी हम तुमसे कहते हैं,
हमारी जिँदगी ले लो मगर उदास मत रहा करो..
हमी से सीखी है
वफ़ा-ऐ-मोहब्बत उसने,
जिससे भी करेगा… कमाल करेगा ।
कौन कहता हे भगवान आते नहीं
तुम मीरा के जेसे बुलाते नहीं