हम सीने से लगा कर रोये ..

आज तेरी याद हम सीने से लगा कर रोये ..

तन्हाई मैं तुझे हम पास बुला कर रोये कई

बार पुकारा इस दिल मैं तुम्हें और

हर बार तुम्हें ना पाकर हम रोये|

एक शब्द है

एक शब्द है दुःख, कहो
कई – कई तरह से फेर।
दुःख ही दुःख है ज़िंदगी
सुख की यहाँ नहीं ख़ैर।।

कभी कभी यूँ भी

कभी कभी यूँ भी हमने अपने जी को बहलाया है
जिन बातों को ख़ुद नहीं समझे औरों को समझाया है

हमसे पूछो इज़्ज़त वालों की इज़्ज़त का हाल कभी
हमने भी इस शहर में रह कर थोड़ा नाम कमाया है

उससे बिछड़े बरसों बीते लेकिन आज न जाने क्यों
आँगन में हँसते बच्चों को बे-कारण धमकाया है

कोई मिला तो हाथ मिलाया कहीं गए तो बातें की
घर से बाहर जब भी निकले दिन भर बोझ उठाया है|

कभी पलकों पे

कभी पलकों पे आंसू हैं, कभी लब पर शिकायत है..

मगर ऐ जिंदगी फिर भी, मुझे तुझसे मुहब्बत है..