उसकी जुस्तुजू उसका इंतज़ार और अकेलापन,
.
थक कर मुस्कुरा देता हु जब रोया नहीं जाता
Category: मौसम शायरी
रात भर फोन
रात भर फोन की डिस्प्ले पे चलाई उँगली
उनके रुख़सार से जुल्फ़ों को हटाने के लिए
उड़ा दो रंजिशे….
उड़ा दो रंजिशे….इन हवाओं में यारों….
मौसम नही कहता…. कोई किसी से नफरत करे….
ईद में सैंवई
दो लफ्ज उनकी तारीफ मे
दो लफ्ज उनकी तारीफ मे क्या बोल दिए
मौसम ने भी आज अपना मिजाज ही बदल लिया
तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था
खिड़की से बाहर जो देखा तो आज फिर बादल बरस रहे थे,
और मैं अन्दर कतरा-कतरा तुम्हारी यादोँ मे भीग रहा था…!!!
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने को,
कभी मेरी आँखों में ठहर के देखो ये बेइंतहा बरसती हैं…!!!
जुलाई की गर्मी तो हम सह लेगें मेरी जान
जुलाई की गर्मी तो हम सह लेगें मेरी जान,
मार डालेगा मगर हमें तेरे लहज़े का गर्म होना…!!!
ऐ बारिश जरा खुलकर बरस
ऐ बारिश जरा खुलकर बरस,
ये क्या तमाशा है….!!
इतनी रिमझिम तो
मेरी आँखों से रोज होती है…!
बारिश के बाद रात आईना सी थी
बारिश के बाद रात आईना सी थी,
एक पैर पानी मे रखा तो चाँद हिल गया.