अपना रिश्ता है

बेनाम सा रिश्ता यूँ पनपा है
फूल से भंवरा ज्यूँ लिपटा है
पलके आंखे, दिया और बाती
ऐसा ये अपना रिश्ता है.!!!!

खुद को तराशते

उम्र जाया कर दी
औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते…

इतना खुद को तराशते
तो खुदा हो जाते…