चल आ तेरे पैरो पर

चल आ
तेरे पैरो पर मरहम लगा दूं ऐ मुक़द्दर.

कुछ चोटे तुझे भी तो आई ही होगी,
मेरे सपनो को ठोकर मारते मारते !

न दोज़ख़ से

न दोज़ख़ से,न ख़ून की लाली से डर लगता है,
कौन हैं ये लोग,इनको क़व्वाली से डर लगता है।