कैसी उलझन बढा रहे हो

हिचकीया दीलाकर ये कैसी उलझन बढा रहे हो
आंखे बंद है फिर भी नजर आ रहे हो
बस इतना बता दो हमें याद कर रहे हो
या अपनी याद दिला रहे हो

बड़ी मुश्किल से

बड़ी मुश्किल से सीखी थी बेईमानी हमने सब बेकार हो गयी,
अभी तो पूरी तरह सीख भी ना पाए थे की सरकारें ईमानदार हो गयी..