जिन्दगी से पुछौ ये क्या चाहती है,
बस ऐक तेरी वफा चाहती है,
कीतनी मासुम और नादान है जीन्दगी ,
खुद बेवफा हे और वफा चाहती है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिन्दगी से पुछौ ये क्या चाहती है,
बस ऐक तेरी वफा चाहती है,
कीतनी मासुम और नादान है जीन्दगी ,
खुद बेवफा हे और वफा चाहती है
क्यूँ भटकते हो सरे राह बारिश का लुत्फ़ लेने को,
कभी मेरी आँखों में ठहर के देखो ये बेइंतहा बरसती हैं…!!!
बरसों बाद इक ख़त आज आया है,
तुम्हे याद आई है या गलत पते पे आया है…!!!
होंगी कुछ उनकी भी मजबूरियाँ,
यूंही कोई हमेशा ऑफलाइन नहीं होता…!!!
अक्सर सोचता हूँ देख कर तस्वीर तेरी,
जो तुझसे मोहब्बत ना होती तो क्या होती ज़िन्दगी मेरी…!!!
तुम याद भी आते हो तो चुप रहता हूं,
कि आंखो को खबर हुई तो बरस जायेगीं…..!!
तुम से कहा था ना कि…..
हम मर जायेंगे,लो मर गये, तुम पर..!!!!
अब दफ़ना लो “अपनी बाहों” में….!
तुम्हें याद हैं वो तुमसे हुई लम्बी लम्बी बातें,
या हमारे साथ साथ उन्हें भी भूला दिया…!!!
तुझ से दूर रह कर मोहब्बत बढती जा रही है
क्या कहूँ… केसे कहूँ… ये दुरी तुझे और करीब ला रही हैँ…..!!
कट ही जाता है दिन तुम्हारे बगैर,
हाँ ज़रा रात तंग करती है…!!!