चलो अब मैंने प्रेम की

चलो अब मैंने प्रेम की डोर खोल दी…
जिससे बांधा था तुम्हे…
अगर वो मेरा है…तो मेरे पास लौट आएगा…

अगर न लौटा…तो वो मेरा कभी था ही नही…!!!

रूह में बसा करते थे

रूह में बसा करते थे हम कभी….

अब लफ़्ज़ों में भी रहते नहीं…….जो चलता है,
वो ही संसार को बदलता है ।

जिसने रातों से जंग जीती है,
सूर्य बनकर वही निकलता है ।

कल मिले थे

कल मिले थे राह में,

बस नज़रो से बात की,

ये वक़्त का तकाज़ा है,

वो इशारा नही करते…!!!