चांद की तरह

तू बिल्कुल चांद की तरह है…

ए सनम..,

नुर भी उतना ही..

गरुर भी उतना ही..

और दूर भी उतना ही.!.

कभी इतना मत

कभी इतना मत मुस्कुराना की नजर लग जाए

जमाने की हर आँख मेरी तरह मोहब्बत की नही होती….!!!

एक ख़्वाब ने

एक ख़्वाब ने आँखे खोली हैं….

क्या मोड़ आया है कहानी मैं…..

वो भीग रही है बारिश मैं………..

और आग लगी है
पानी मैं……!

एक सूत्र में बँधी

झाड़ू, जब तक एक सूत्र में बँधी होती है, तब तक वह “कचरा” साफ करती है।

लेकिन वही झाड़ू जब बिखर जाती है तो खुद कचरा हो जाती है।