लौट आया हूँ

लौट आया हूँ मैं फिर ख़ामोशी की क़ैद में … !
.तुम्हें दिल से आवाज़ देने की यही सजा हैं मेरी…

ह्रदय की आंखो से

ह्रदय की आंखो से प्रभु का
दीदार करो…
दो पल का है अन्धेरा बस सुबह का इन्तेजार करो..
क्या रखा है आपस के बैर मे मेरे साथियों ,
छोटी सी है ज़िंदगी बस , हर किसी
से प्यार करो.।

अच्छा लगता है

अच्छा लगता है तुम्हारे लफ्जों में खुद को ढूँढना
इतराता हूँ ,मुस्कुराता हूँ और तुममें ढल जाता हूँ
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ये न पूछ

ये न पूछ के शिकायतें कितनी है तुझसे
ये बता के तेरा और कोई सितम बाकी तो नहीं …!!!