है ये बस्ती तिरे भीगे हुए कपड़ों की तरह
तेरे इस्नान-सा लगता है ये बरसात का रंग
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
है ये बस्ती तिरे भीगे हुए कपड़ों की तरह
तेरे इस्नान-सा लगता है ये बरसात का रंग
हाथ मिलते ही उतर आया मेरे हाथों में
कितना कच्चा है मिरे दोस्त तिरे हाथ का रंग |
तकलीफों ने ऐसा तराशा है मुझको…
हर गम के बाद ज्यादा चमकता हूँ..
वक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है
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राह में छोड़ के साया भी चला जाता हैवक्त इंसान पे ऐसा भी कभी आता है
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राह में छोड़ के साया भी चला जाता है|
है कोई रंग जो हो इश्क़े-ख़ुदा से बेहतर
अपने आपे में चढ़ा लो उसी इक ज़ात का रंग |
भुख लोरी गा गा कर,
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जमीर को सुलाये रखती हैं…….