तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना…
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम दुआ के वक़्त जरा मुझे भी बुला लेना…
दोनों मिलकर एक दूसरे को मांग लेंगे…
मेरी जिन्दगी में झाँक कर तुम यूँ चले गये
ना मतलब था ना वास्ता,कोई बात बर न थी….
मत सोच इतना जिन्दगी
के बारे में ,
जिसने जिन्दगी दी है उसने भी तो कुछ सोचा होगा…!!
में करता हुं मिन्नते फकिरो से अकसर……..
….
जो ऐक पैसे में लाखो की दुआ दे जाते है…!!
वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ……
फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले,
यू कहानिया अधूरी न लिखा कर
सब छोड़े जा रहे है आजकल हमें,,,,,
” ऐ जिन्दगी ” तुझे भी इजाजत है,,,,
जा ऐश कर…ll
कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है ,
विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !
“समझदार” एक मै हूँ
बाकि सब “नादान”..
बस इसी भ्रम मे घूम रहा
आज कल हर “इंसान”.!!
नसीहतें और दुआए बदलती नहीं है..
देने वाले लोग और तरीके बदल जाते है..