शायर होना भी

शायर होना भी कहाँ आसान है,
बस कुछ लफ़जों मे दिल का अरमान है,
कभी तेरे ख्याल से महक जाती है मेरी गज़ल,
कभी हर शब्द परेशान है….

हमने सोचा था

हमने सोचा था दो चार दिन की बात होगी
पर तेरी यादों से तो उम्र भर का रिश्ता निकल आया…

कौन कहता है

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है
तेरी यादों को कलेजे से लगा रक्खा है

लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल ने हर राज़ मुहब्बत का छुपा रक्खा है

तूने जो दिल के अंधेरे में जलाया था कभी
वो दिया आज भी सीने में जला रक्खा है

देख जा आ के महकते हुये ज़ख़्मों की बहार
मैंने अब तक तेरे गुलशन को सजा रक्खा है |

एक नींद है

एक नींद है जो लोगों को रात भर नहीं आती,
और एक जमीर है जो हर वक़्त सोया रहता है।