अब की बार

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..

कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…

हम ये नहीं चाहते

हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे हम तो, बस इतना चाहते है की कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ….!

मॊहब्बत यू ही

मॊहब्बत यू ही किसी से हुआ नहीं करती…
अपना वज़ूद भुलाना पड़ता है,किसी को अपना बनाने के लिए…॥

मिल जाए मुझे

मिल जाए मुझे सबकुछ” ये दुआ देकर चला गया..

और मुझे बस वो चाहिए था..
जो ये दुआ देकर चला गया…

अब इतना भी

अब इतना भी सादगी का ज़माना नहीं रहा
के तुम वक़्त गुज़ारो और हम प्यार समझें ।।।।।