सोचा था तुझपे

सोचा था तुझपे प्यार लुटाकर तेरे दिल में घर बनायेंगे…

हमे क्या पता था दिल देकर भी हम बेघर रह जाएँगे.…

बुरा हो वक्त

बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं,
बड़ो को छोटे भी आंखे दखाने लगते हैं,
अमीर के घर भूल कर भी मत जाना,
हर एक चीज की कीमत बताने लगते है।

घर की इस बार

घर की इस बार मुकम्मल तौर से मैं तलाशी लूँगा”जनाब”

मेरे ग़म छुपा कर आखिर मेरी माँ रखती कहाँ है