वो भी आधी रात

वो भी आधी रात को निकलता है और मैं भी ……

फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग …. ?

यह परिणाम है

कदम निरंतर बढते जिनके , श्रम जिनका अविराम है ,
विजय सुनिश्चित होती उनकी , घोषित यह परिणाम है !

बस इतना कहूगाँ

जो बुरे वक्त मेँ मेरे साथ था उनके लिए मैँ बस इतना
कहूगाँ…..
मेरा अच्छा वक्त सिर्फ तुम्हारे लिए होगा…..!!

ख्वाहिशों का बोझ

उनका कन्धा ना जाने ईश्वर ने कितना
मजबूत बनाया है,
मेरी ख्वाहिशों का बोझ उठाते हुए माँ
ने कभी उफ़ तक नहीं किया….