ज़रूरी नहीं कि

ज़रूरी नहीं कि हर समय लबों पर खुदा का नाम आये;

वो लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आये।

अब की बार

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..

कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…

हम ये नहीं चाहते

हम ये नहीं चाहते की कोई आपके लिए ‘दुआ’ ना मांगे हम तो, बस इतना चाहते है की कोई ‘दुआ में ‘आपको’ ना मांगे ….!

Dosto ज़िंदगी में

Dosto ज़िंदगी में बिछड़ गए अगर इतेफ़ाक़ से__
तो हमें देखके नज़रें ना चुरा लेना!

कहीं देखा है आपको शायद__
बस यही कह के हाथ मिला