इक मुद्दत से

इक मुद्दत से कोई तमाशा नहीं देखा बस्ती ने

कल बस्ती वालों ने मिल-जुलकर मेरा घर फूंक दिया

इस शहर में

इस शहर में मज़दूर जैसा दर-बदर कोई नहीं..
जिसने सबके घर बनाये उसका घर कोई नहीं..