लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं,
मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लोग कहते हैं कि समझो तो खामोशियां भी बोलती हैं,
मैं अरसे से खामोश हूं और वो बरसों से बेखबर है…
सिखा दिया ‘तुने’ मुझे… अपनों पर भी ‘शक’ करना..
मेरी ‘फितरत’ में तो था… गैरों पर भी ‘भरोसा’ करना!!
तेरे संग रातों मैं चाँद को
ताकते रहना
बिखर कर अब तो तारे हो गई वो यादे…।
कैसी भी हो एक
बहन होनी चाहिये……….।
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बड़ी हो तो माँ- बाप से बचाने वाली.
छोटी हो तो हमारे पीठ पिछे छुपने वाली……….॥
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बड़ी हो तो चुपचाप हमारे पाँकेट मे पैसे रखने वाली,
छोटी हो तो चुपचाप पैसे निकाल लेने वाली………॥
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छोटी हो या बड़ी,
छोटी- छोटी बातों पे लड़ने वाली,एक बहन होनी चाहिये…….॥
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बड़ी हो तो ,गलती पे हमारे कान खींचने वाली,
छोटी हो तो अपनी गलती पर,साँरी भईया कहने
वाली…
खुद से ज्यादा हमे प्यार करने वाली एक बहन होनी चाहिये….
सारा जहाँ मिलता है…
बस वो नहीं मिलता…
जिसमे जहाँ मिलता है…!!
जैसे जैसे तू हसीन दिखने लगी
है…
मेरी ✏ कलम और भी अच्छी शायरी लिखने ✔ लगी है…
जिस के होने से मैं खुद को मुक्कमल मानता हूँ
मेरे
रब के बाद
मैं बस मेरी # माँ को जानता हूँ !!!
बरसो से कायम है
इश्क अपने उसुलो पे, ये कल भी तकलीफ देता था
ये आज भी तकलीफ देता है!!!
तू ज़ाहिर है लफ्जों में मेरे…
मैं गुमनाम हूँ खामोंशियों मे तेरी…
आज सुबह सुबह
मौत बड़े गुस्से में आके मुझसे बोली की
“मैं तेरी जान ले लूँगी”
मैंने भी कह दिया की जिस्म
लेना है तो ले ले जान तो कोई और ले गया है ll