हमारे इश्क की

हमारे इश्क की तो बस इतनी सी कहानी हैं:
तुम बिछड गए.. हम बिख़र गए..
तुम मिले नहीं.. और हम किसी और के हुए नही

हर एक शख्स

हर एक शख्स ख़फ़ा,मुझसे अंजुमन में था…
क्योंकि मेरे लब पे वही था,जो मेरे मन में था…

खुल सकती हैं

खुल सकती हैं रुमाल की गांठें बस ज़रा से जतन से मगर,

लोग कैंचियां चला कर, सारा फ़साना बदल देते हैं.. !!!

अपना क्या है

जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआ
अपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ