हम अपने उसूलों से, डगमगाये तो थे ज़रूर;
पर आप भी मुस्करा कर, पलटे तो थे हुज़ूर!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम अपने उसूलों से, डगमगाये तो थे ज़रूर;
पर आप भी मुस्करा कर, पलटे तो थे हुज़ूर!
देखा है क़यामत को,मैंने जमीं पे
नज़रें भी हैं हमीं पे,परदा भी हमीं से|
कुछ कहने के लिए …..
बोलने की क्या जरुरत हे !!!!
हसरतें थीं जीने वाली, जी गईं;
मरने वाला था दिल अपना, मर गया!
जब भी मिलते हो , रूठ जाते हो ,
यानी रिश्तों में , जान बाक़ी है |
वो एक ख़त जो तूने कभी मुझे लिखा ही नहीं…?
देख मै हर रोज़ बैठ कर उसका जवाब लिखता हूँ….
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अंदाज से ,
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में..!!
शायरों की बस्ती में कदम रखा तो जाना ।
गमों की महफिल भी कितने खुशी से जमती है ।।
आज फिर रात बड़ी नम सी है
आज तुम याद फिर बहुत आए|
तेरी तरफ जो नजर उठी
वो तापिशे हुस्न से जल गयी
तुझे देख सकता नहीं कोई
तेरा हुस्न खुद ही नकाब हैं|