भरे बाज़ार से

भरे बाज़ार से अक्सर मैं खाली हाथ लौट आता हूँ..
पहले पैसे नहीं हुआ करते थे, अब ख्वाहिशें नहीं रहीं….

शायर वही हुए

रात रोने से कब घटी साहब

बर्फ़ धागे से कब कटी साहब

सिर्फ़ शायर वही हुए जिनकी

ज़िंदगी से नहीं पटी साहब..

कर्ज़े चुका दूं

सबके कर्ज़े चुका दूं मरने से पहले, ऐसी मेरी नियतं हैं,

मौंत से पहले तूं भी बता दे ज़िन्दगी, तेरी क्या किमत हैं.”.

मिल जाता है

सुना है सब कुछ मिल जाता है खुदा कि दुआ से ,

मिलते हो अब खुद या मांग लू तुम्हें खुदा से ?