ज़मीं पर वो

ज़मीं पर वो मेरा नाम लिखते है और मिटाते है…
उनका तो टाइम पास हो जाता है
कमबख्त मिटटी में हम मिल जाते है

अजीब चीज बनायीं

मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,तेरे ही मंदिर में, तेरी ही मस्जिद में, तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हैं, तुझे नहीं,किसी और को पाने के लिए!

मोहब्बत ना हुई..

किस्मत ही मिली थी ऐसी .. कि चैन से जीने
कि सूरत ना हुई,
जिसे चाहा उसे पा न सके .. जो मिला उससे
मोहब्बत ना हुई…!!

ऐसा भी नहीँ है

ऐसा भी नहीँ है कि, ..
मैँ जिँदगी नही जिया हुँ . . . .

मैने भी उङाई है पॉलिथीन, …
तेज़ आँधी मेँ धागा बाँधकर . . .

मौजूदगी बयाँ करता है।

तजुर्बे ने शेरों को खामोश रहना सिखाया;
क्योंकि दहाड़ कर शिकार नहीं किया जाता;
कुत्ते भौंकते हैं अपने जिंदा होने का एहसास दिलाने के लिए;
मगऱ जंगल का सन्नाटा शेर की मौजूदगी बयाँ करता है।