एक खता के बदले

इतनी वफ़ादारी ना कर किसी से यूँ मदहोश
होकर ….
दुनिया वाले एक खता के बदले सारी वफ़ाएं भुला देते
हैँ….!!!

खुदा से भी माँगा

अमल से भी माँगा वफा से भी माँगा,

तुझे मैने तेरी रजा से भी माँगा,

ना कुछ हो सका तो दुआ से भी माँगा,

कसम है खुदा की खुदा से भी माँगा

तकलीफ दे तो

आदत’ बना ली है। मैंने खुद को तकलीफ देने की । ताकि जब कोई अपना । तकलीफ दे तो फिर ” तकलीफ ” न हो.

मुझे दर्द दिया है!

नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है!
इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है!
मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता,
रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है!
तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ,
मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है!
जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से बाहर निकल आया,
ज़ख्मों का तसल्ल्ली से रफू तक भी किया है!
तुम मुझे कोई उजाला न दिखाओ,
अब मेरा ही दिल मानो कोई जलता दिया है!”