वो मेरे चेहरे तक अपनी नफ़रतें लाया तो था,
मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया !
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो मेरे चेहरे तक अपनी नफ़रतें लाया तो था,
मैंने उसके हाथ चूमे और बेबस कर दिया !
लोग पीठ पीछे इतनी बुराई करते हैं कि अब तो पीठ भी दर्द करने लगी
चलो कोई ऐसा तरीका ढूंढते हैं,
मन्द हवा भी चले और दिए भी जले।
खुश हूँ तेरे बिना पर
आंसू ही गिर पड़े आँखों से लिखने से पहले।
क़ैद न कर पाओगे, हवा हूँ मैं, एक दिन उड़ जाऊँगा
ढूँढा करोगे, नज़र न आऊँगा ख़ाक में मिल जाऊँगा..
ख़ुद गुलाब हो कर तुम गुलाब छूती हो ,
कितनी क़यामतें बरपा करना चाहती हो..??
उसे भी खिड़कियाँ खोले
ज़माना बीत गया
मुझे भी शामो-सहर का पता नहीं चलता
होगी मजबूरी कोई वजह मानता हूँ,
मैं जुबां तेरी साँसों की जानता हूँ।।
सफर कहाँ से कहाँ तक पहुँच गया मेरा..
रुके जो पांव….तो कांधो पे जा रहा हूँ मैं..
लहज़ा शिकायत का था मगर,
सारी महफिल समझ गयी मामला मोहब्बत का है !!