इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना तो ज़िंदगी में किसी के ख़लल पड़े
हँसने से हो सुकून न रोने से कल पड़े |
गए वो दिन कि शिकवे थे जहाँ के… अब अपना ही गिला है और मैं हूँ..
लिख कर संजो लेते हो, हर कहानी को फ़ोन में,
पर गुलाब छुपाने के लिए वो पन्ने कहाँ से लाओगे!
इश्क़ की दास्ताँ है प्यारे
अपनी अपनी जुबान है प्यारे
रख कदम फूंक फूंक कर नादाँ
ज़र्रे ज़र्रे में जान है प्यारे।
आलमारी मैं बंद रखा जाता है कभी पहना नहीं जाता
हाल अपना भी अब बेवा के जेवर जैंसा हो गया है|
जब कोई अपना मर जाता है ना साहिब…..!
फिर कब्रिस्तानों से डर नही लगता…
नजरे छुपाकर क्या मिलेगा…
नजरे मिलाओ,शायद हम मिल जाये
धुप में कौन किसे याद किया करता हैं
पर तेरे शहर में बरसात तो होती होगी
काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर,
तुम आ कर गले लगा लो मुझे,
मेरी इज़ाज़त के बगैर….!!
आज फिर कुछ लोगों को बेगाना किया जायेगा,
आज फिर से मेरे दुश्मनो में इज़ाफ़ा होगा