मत रहो दूर

मत रहो दूर हमसे इतना के अपने फैसले पर अफसोस हो जाये…

कल को शायद ऐसी मुलाकात हो हमारी…

के आप हमसे लिपटकर रोये और हम ख़ामोश हो जाये..!

वो दर्द ही क्या

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!
वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए!
कभी तो समझो मेरी खामोशी को!
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें!