Woh ashq bhari ankhein, yeh dard
bhare naale..
Allah na dikhlaye jo waqt-e-sehar
dekha..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
Woh ashq bhari ankhein, yeh dard
bhare naale..
Allah na dikhlaye jo waqt-e-sehar
dekha..!
Iss ishq ke hathon se hargiz na-mafar dekha..
Utni hi badhi hasrat jitna hi udhar dekha..!
Har lehza shaan-e-husn badalti rahi..
Har aan hum jahan-e-digar dekhty rahey..!
Zehar asardar bhi ho to kuch nahi ho sakta “Iqbal”,
Khuda bhi raazi hona chahiye
maut dene ke liye….
काफी अरसा बीत गया, जाने अब वो कैसी होगी..
वक्त की सारी कड़वी बातें चुप चाप ही सहती होगी…
अब भी भीगी बारिश में वो बिन छतरी के चलती होगी…
मुझसे बिछड़े अरसा गुजरा, अब वो किससे लङती होगी…
अच्छा था जो साथ ही रेहती, बाद में इतना तो सोची होगी…
अपने दिल की सारी बातें, खुद से खुद ही करती होगी.
क्यूँ मौत से इतने ख़ौफ़ज़दा हैं हम लोग
हमदर्द है वो आती है रिहा करने के लिए
काफी अरसा बीत गया, जाने अब वो कैसी होगी..
वक्त की सारी कड़वी बातें चुप चाप ही सहती होगी…
अब भी भीगी बारिश में वो बिन छतरी के चलती होगी…
मुझसे बिछड़े अरसा गुजरा, अब वो किससे लङती होगी…
अच्छा था जो साथ ही रेहती, बाद में इतना तो सोची होगी…
अपने दिल की सारी बातें, खुद से खुद ही करती होगी.
जो हमें समझ नही सकते!!!!
उन्हें हक़ है…. हमें बुरा समझें!!!
उसके आने से जो आ जाती है मुंह पर रौनक,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
सो जायेगी कल लिपटकर,
तिरंगे के साथ अलमारी में…..
देशभक्ति है साहब,
तारीखों पर जागती है….