बिकने वाले और भी है जाओ जाकर खरीद लो
हम किमत से नही किस्मत से मिला करते है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बिकने वाले और भी है जाओ जाकर खरीद लो
हम किमत से नही किस्मत से मिला करते है
मेरे बर्दाश्त करने का अंदाजा तू क्या लगायेगी,
तेरी उम्र से कहीं ज्यादा मेरे जिस्म पर जख्मो के निशाँ हैं..
जिस नगर भी जाएँ.. किस्से है कम्बख्त दिल के..कोई देके रो रहा है.. तो कोई लेके रो रहा है..॥
वो छोड़ के गए हमें
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी;
खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं ;
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।
लोग तो लिखते रहे मेरी आँखों पर गज़ले,
तुमने इतना भी ना पूछा, “तुम उदास क्यों हो”
कही दर्द की झीले, तो कही लहजे की करवटेँ..
उससे कहना मै खुश तो हूँ, मगर मेरा हर लफ़्ज रोता है..!
लोग तो लिखते रहे मेरी आँखों पर गज़ले,
तुमने इतना भी ना पूछा, “तुम उदास क्यों हो”
इस जहां में फिरता है हर कोई ईमानदारी जेबें में रखकर
दोस्तों अब तो जहर भी खरीदेंगे तो अपनी जुवां से चखकर
शिकायते तो बहुत है तुझसे ए जिन्दगी;
पर जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नही….
जिंदगी मे चुनौतियाँ हर किसी के हिस्से नहीं आती,
क्यूंकि किस्मत भी किस्मत वालो को ही आज़माती है..