झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…
वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…
यकीन न करना हर किसी पे..
क्यों की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
झ़ुठा अपनापन तो हर कोई जताता है…
वो अपना ही क्या जो हरपल सताता है…
यकीन न करना हर किसी पे..
क्यों की करीब है कितना कोई ये तो वक़्त ही बताता है…
अब ना करूँगा अपने दर्द को बया किसी के सामने,
.
दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यू करना…
ज़रा मुस्कुराना भी सिखा दे ऐ ज़िंदगी,
रोना तो पैदा होते ही सीख लिया था!
अब ना मैं वो हूँ, न बाकी हैं जमाने मेरे….
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फसाने मेरे…
बहुत याद आते है
वो पल …….
जिसमे आप हमारे और हम तुम्हारे थे……..
ये ज़िन्दगी हमारी,कब हमारी रही,
कुछ रिश्तो में बटी ,कुछ किस्तों में|
ड़ोली चाहे अमीर के घर से उठे चाहे गरीब के,
चौखट माँ बाप की ही सूनी होती है….
जो शर्त आसमानो से लगा कर उड़े..
उन पंछियो की उड़ानो को कोन रोक सकता है..
रिशते निभाऔ ,प्यार करो दुख मत देना,
किसी को आसुंओं का तोहफा मत देना,
दिल से कोसे जिंदगी भर कोई तुम्हे,
ऐसा मौका किसी को मत देना….
ये डूबने वाले का ही होता हे कोई फन;
आँखों में किसी के भी समंदर नहीं होता!